नमस्कार दोस्तों ! Amer Fort राजस्थान के गौरवपूर्ण एवं समृद्ध इतिहास को दर्शाता है। राजस्थान के इस मशहूर और भव्य किले में कई सालों तक विभिन्न शासकों ने शासन किया, जिसमें से किसी ने इसकी संरचना को नष्ट किया तो कई ने इसके नवीनीकरण पर ध्यान दिया लेकिन यह किला आज भी पूरे राजस्थान का गौरव बना हुआ है। आमेर के किले के दर्शनीय स्थल एवं आकर्षक भव्य स्वरूप की चर्चा इतनी अधिक है कि भारत के साथ-साथ विश्व के विभिन्न प्रांतों से लोग घूमने के लिए यहां आते हैं।
पूरे विश्व के लोग Amer Fort में घूमने के लिए आते हैं। यह किला हिन्दू-राजपूताना वास्तुशैली पर आधारित है, जिसका नाम पूरे राजस्थान के सबसे बड़ें किलों की सूची में आता है। आमेर फोर्ट जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है। आज हम बात करने वाले हैं Amer fort की संपूर्ण जानकारी के बारे में, जिसके अंतर्गत आमेर किले के इतिहास, इसके वास्तुकला, इसकी संस्कृति एवं विभिन्न दर्शनीय स्थलों के साथ-साथ यहां के स्थानीय भोजन का संपूर्ण ब्यौरा आपके सामने प्रस्तुत करने वाले हैं।
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Amer Fort History in Hindi

पुरानी इमारतें और किलें अपने ढांचे के साथ अपना एक इतिहास छोड़ जाती है। ऐसे ही जयपुर में आमेर का किला का इतिहास (Amer fort history) भी काफी रोचक है। इसकी पुरानी इमारतों ध्यान देने से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि आमेर पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका है। Amer kila का निर्माण एक जनजाति के द्वारा करवाया गया था, जिसे मीनास कहा जाता था।
इतिहासकारों के तथ्य के अनुसार यह पता चला है कि राजस्थान के मौजूदा इस सबसे बड़े आमेर किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 16वी शताब्दी में हुई थी। इसके पहले मूल रूप से आमेर की स्थापना 967 ई० में राजाराम सिंह द्वारा किया गया था, जिनका ताल्लुक राजस्थान के मीणाओं में चंदा वंश से था। राजा मान सिंह के बाद से लगातार डेढ़ सौ वर्षो तक राजा मानसिंह के उत्तराधिकारी और शासकों के द्वारा इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का देखभाल संभाला गया था।
इसके बाद सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी राजधानी आमेर से जयपुर को बना दिया था। उसी समय सबसे पहले जयपुर को राजधानी बनाई गई थी। Amer Fort history देखा जाए तो यह भारत के सबसे प्राचीनतम किले में से एक है। इसी किले के अंदर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर स्थित है, जिसे राजा मान सिंह के समय बनाया गया था। यहाँ कुछ लोगों का मानना यह भी है कि इस किले का नाम आमेर भगवान शिव के अंबिकेश्वर रूप पर रखा गया था। वहीं कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि आमेर किले का नाम मां दुर्गा के अम्बा नाम से लिया गया है।
Amer Fort के स्थानीय एवं स्वादिष्ट भोजन
Amer fort in Jaipur के स्थानीय भोजन की बात करें तो भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के अंतर्गत आने वाला यह एक ऐसा स्थान है, जहां आपको एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिल सकता है। राजाओं के समय से ही यहां चले आ रहे स्वादिष्ट व्यंजनों की संस्कृति देखने को मिलती है। यहां के प्रमुख स्थानीय भोजन में दाल बाटी चूरमा के साथ साथ इमरती और घेवर आदि मिठाईयां शामिल है। घेवर के अलावा यहां गजक, चोइर्मा और यहां का प्रसिद्ध हलवा भी काफी स्वादिष्ट होता है।
आमेर का किला के आसपास कई ऐसे स्थान हैं, जहां आपको एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट भोजन मिलते हैं लेकिन बात करें यहां के जोहरी बाजार की तो इसके भोजन की किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। इसके अलावा यहां प्राचीन काल से चली आ रही पारंपरिक राजस्थानी थाली का मजा भी आप ले सकते हैं, जो राजाओं के समय से चली आ रही है। इतना ही नहीं Amber fort के स्थानीय स्ट्रीट फूड भी काफी प्रसिद्ध हैं, जो यहां के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
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Amer fort पहुंचने के लिए मार्ग (How to Reach Amer Fort)
आमेर के किले में जाने के लिए सबसे पहले आपको जयपुर पहुंचना होगा। बता दें कि जयपुर शहर सड़क एवं वायु दोनों मार्गों से जुड़ा हुआ है। गोल्डन ट्रायंगल के महत्वपूर्ण हिस्सों में जयपुर का नाम भी आता है। यदि आप पंजाब, राजस्थान अथवा हरियाणा के निवासी हैं, तो आप ट्रेन या रोड ट्रिप लेकर जयपुर जा सकते हैं। यदि आप दिल्ली से जयपुर जाना चाहते हैं, तो इसके लिए भी कई ट्रेनें उपलब्ध हैं।
जयपुर जाने के बाद आमेर के किले तक जाने के लिए आपको जयपुर के केंद्र से 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। इसके बाद आमेर के किले तक पहुंचना बेहद आसान हो जाता है क्योंकि यहां पर्यटक बसें, सरकारी बसें एवं टैक्सियां आदि मौजूद होती हैं। इसकी मदद से आप आसानी से सीधे आमेर के किले तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अपनी सवारी के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं।
Amber Fort के प्रमुख दर्शनीय स्थल
आमेर किला बेहद विस्तृत क्षेत्र में फैला एक महत्वपूर्ण किला है, जहां कई दर्शनीय स्थल एवं मंदिरों का समावेश है। आइए जानते हैं Amer Fort के दर्शनीय स्थल के बारे में, जिसके अंतर्गत आने वाले कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं –
मावठा झील
आमेर के किले के नीचे मावठा झील यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। मावठा झील का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने 1664 में बनवाया था। मावठा झील के नजदीक ही केसर की कई क्यारियों का निर्माण किया गया है, जिसकी खुशबू आमेर के दुर्ग में आने वाले पर्यटकों के पास भी पहुंचती है।
दीवान-ए-आम
पर्यटक जैसे ही आमेर के किले में प्रवेश करते हैं, वह चौक पर संगमरमर से बनी दीवान-ए-आम है। यह एक भवन है, जो 40 खंभों से मिलकर बना हुआ है। उस समय यहीं पर राजा का दरबार लगाया जाता था, जहां आम जनता भी होती थी। दीवान-ए-आम को भी मिर्जा राजा जयसिंह ने ही बनवाया था।
दीवान-ए-खास ( शीश महल )
दीवान-ए-खास का निर्माण राजा जयसिंह ने ही करवाया था। यहां कांच की सुंदर कारीगरी देखने को मिलती है। महा कवि बिहारी ने इसे दर्पण धाम के नाम से पुकारा है। दीवान-ए-खास आमेर किले का वह स्थान है, जहां राजा अपने सामंतों के साथ बैठकर किसी मुद्दे पर बात विचार करते थे।
सुहाग मंदिर (सौभाग्य मंदिर)
सुहाग मंदिर विशेष रूप से रानियों के लिए था, जहां से वह दीवान-ए-आम के नजारे एवं वहां हो रहे काम को देखा करती थी। Amer Fort के महत्वपूर्ण मंदिरों के अंतर्गत सुहाग मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है।
जगतशिरोमणि मंदिर
आमेर किले के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में जगतशिरोमणि मंदिर बेहद प्रसिद्ध मंदिर है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण मानसिंह प्रथम की पत्नी ने अपने पुत्र जगत सिंह के स्मरण में बनवाया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में श्री कृष्ण की काले रंग की मूर्ति भी विद्यमान है। कहा जाता है कि इस मूर्ति की पूजा मीराबाई किया करती थीं, जिस कारण इस मंदिर का नाम मीरा मंदिर भी है।
आमेर का किला की वास्तुकला और सरंचना (Amber Palace Architecture)

Amer Fort in Jaipur, जयपुर शहर से केवल 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है राजस्थान के विशाल किले का रूट है जहां पर हिंदू शासक के पूरा तनिक शैली अंकित की गई है। जिसे राजपूताना शैली भी कहा जाता है। यदि इस किले को आप बाहरी रूप से देखेंगे तो आप को यह किला मुगल शासक की वास्तु शैली से प्रभावित हुई दिखाई देगी। लेकिन सच यह है कि यह अंदर से पूर्ण राजपूत स्थापत्य शैली में निर्मित है।
दरहसल Amer Fort in Jaipur की वास्तुशैली मुगल और हिन्दू शासक दोनों से प्रभावित है। इसके लिए की वास्तु शैली काफी प्राचीन है वही इस किले के अंदर साहसी राजपूत शासकों की तस्वीर भी लगी हुई है। वहीं इस विशाल और भयावह किले के अंदर ऐतिहासिक महल उद्यान जलाशय एवं सुंदर मंदिर भी स्थित है जो पूरे किले की सुंदरता को काफी प्रभावित करता है।
आमिर किले के पूर्व में इसका प्रवेश द्वार स्थित है, यही मुख्य द्वार है, इसके साथ ही इसे सूर्यपाल या सूर्य द्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस द्वार का नाम सूर्य द्वार होने का कारण यह है कि इसका द्वार पूर्व में स्थित है। इसके बाद अंदर में चंद्र पोल द्वारा आता है, जो किले के अंदर दक्षिण भाग में स्थित है। चंद्रपाल द्वार के निकट जलेब चौक बना हुआ है जहां से सैलानी महल के प्रांगण में प्रवेश किया करते थे।
जलेबी चौक के सामने दो सीढ़ियां दिखाई देती है जिसमें से एक सीढ़ी राजपूत राजाओं की कुलदेवी शिला माता मंदिर की तरफ जाता है। इस मंदिर की चर्चा की जाए तो यह मंदिर किले के गर्भ गृह में स्थापित किया गया है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ काफी धार्मिक महत्व भी है। यहां पर आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। इस किले के जलेब चौक से दिखने वाली दूसरी सीढ़ी सिंहपोल द्वार की तरफ जाती है। इसके साथ ही यहाँ पर दीवान-ए-आम, भगवान गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति शोभायमान, दीवान-ए-खास, सुख महल, शीश महल समेत कई ऐतिहासिक और बेहद आर्कषक संरचनाएं बनी हुई है।
आमेर का किला जाने का सबसे अच्छा समय (Amer Fort Timings)
आमेर किला को अम्बर महल (Amber palace) या अम्बर किला के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप Amer Fort जाना चाहते हैं, तो Amer kila जाने का समय (Amer fort timings) के बारे में आपको पता होना चाहिए। इससे आप यहां के विभिन्न पर्यटक स्थलों का और भी आनंद ले सकते हैं। बता दें कि Amer Fort घूमने के लिए साल भर में सबसे अच्छा महीना अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच का महीना है।
यदि आप गर्मी के मौसम में Amber palace यानी कि आमेर किला घूमने जाते हैं तो यहां की गर्मी बर्दाश्त करने के बाहर हो जाती है क्योंकि गर्मी के समय यहां का तापमान 40 डिग्री से 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है। ऐसे समय पर जाने पर आप यहां अच्छे से घूमने का लुफ्त नहीं उठा पाएंगे। इसलिए यदि आप सर्दियों के समय आमेर का किला जाना चाहते हैं, तो यह घूमने के लिए सबसे अच्छा समय होगा। जैसा कि हमने आपको Amer fort timings के बारे में बता दिया है, तो अब आपको यहां जाने के लिए समय निर्धारित करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
Amber fort लाइट एंड साउंड शो भी काफी प्रसिद्ध है। यदि आप यहां भी घूमने जाना चाहते हैं तो इसका समय अक्टूबर से फरवरी महीने में 6: 30 बजे (अंग्रेजी) और 7:30 बजे (हिंदी) है। वहीं मार्च से अप्रैल महीने के बीच इसका समय शाम 7:00 बजे (अंग्रेजी) / 8:00 बजे (हिंदी) तथा मई से सितंबर महीने में शाम 7:30 बजे (अंग्रेजी) / 8:30 बजे (हिंदी) है।
आमेर का किला घूमने के लिए शुल्क (Amber Palace Ticket Price)
Amer ka kila घूमने के लिए बेहद ही आकर्षक स्थल है। भारतीयों एवं अन्य पर्यटकों के लिए इस किले का शुल्क अलग अलग रखा गया है। जानकारी के लिए बता दें कि यदि आप Amer ka kila घूमने के लिए जा रहे हैं, तो भारतीयों के लिए 50 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट और अन्य पर्यटकों के लिए 150 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट लगते हैं। आमिर किला में घूमने के लिए 2 दिनों के लिए भी आप संयुक्त टिकट ले सकते हैं। इसके अंतर्गत भारतीयों के लिए 150 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 500 रुपए निर्धारित किए गए हैं।
संयुक्त टिकट की मदद से आप Amer Fort के कई प्रमुख दर्शनीय स्थलों जैसे विद्याधर उद्यान, जंतर मंतर वेधशाला और सिसोदिया रानी उद्यान के साथ साथ अल्बर्ट हॉल संग्रहालय एवं नाहरगढ़ किला भी घूम सकते हैं। इतना ही नहीं इस टिकट के जरिए आप हवा महल एवं अम्बर के लिए के भी खूबसूरत नजारों का भी आनंद ले सकते हैं।
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निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आमेर किले की पूरी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। क्योंकि यहां हमने आमेर किले की वास्तुकला, यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल एवं Amer Fort जाने के समय के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान किया है। इसके अलावा आमेर किले के इतिहास, वास्तुकला एवं इससे जुड़ी रोचक बातों के बारे में भी हमने यहां जिक्र किया है। जिसके माध्यम से आप आमेर किला के रोमांचक ट्रिप का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। यह पोस्ट आपको कैसी लगी, इसके बारे में हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यात्रा से संबंधित जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें। यह पोस्ट आपको कैसी लगी, इसके बारे में हमें कमेंट करके जरूर बताएं।